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पंखों के प्रकार तथा पंख के वर्धन का वर्णन (Description of types of feathers and growth of feathers)

पंखों के प्रकार (Types of Feathers)

स्थिति, रचना एवं कार्य के आधार पर पक्षियों के पंखों का निम्नलिखित वर्गीकरण किया गया है-1. पर्ण पंख (Quill feathers),2. रोम पंख (Filoplumes)3. कोमल पंख (Down feather),4. रिक्टल शूक (Rectal bristle)|पर्ण पिच्छ या पंख (Quill feathers) - ये पक्षियों के शरीर पर पाये जाने वाले सबसे बड़े अत्यधिक महत्वपूर्ण पिच्छ हैं। इनकी संरचना प्रारूपी पिच्छ की संरचना के समान होती है। पक्षियों में निम्नलिखित प्रकार के पूर्ण पिच्छ (Quill feathers) पाये जाते हैं।(i) पक्ष पिच्छ या रेमीजेस (Remeges or wing feathers) -ये डैने (Wings) का निर्माण तथा उड्डयन (Flight) में सहायता करते हैं। पक्ष पिच्छों के पिछ फलकों केसमीपस्थ भाग (Proximal part) दूरस्थ भागों की अपेक्षा अधिक चौड़े होते हैं। अल्ना (Ulna) पर स्थित पक्षपिच्छों को द्वितीय पक्ष पिच्छ या सेकेण्ड्रीज तथा मेटाकार्पल्स तथा द्वितीय तथा तृतीय उँगलियों पर जुड़े पक्षपिच्छों को प्राथमिक पक्ष पिच्छ या प्राइमरीज (Primaries) कहते हैं।(ii) पुच्छ पिच्छ या रेक्टिसेज (Ractrices or tail feathers) – ये पूँछ पर पंखे (Fans) के विन्यसित रहते हैं तथा उड्डयन के समय स्टेयरिंग का कार्य करते हैं। समान(iii) छादर पिच्छ या देह पिच्छ (Contours) – ये समस्त शरीर, गर्दन एवं पंखों पर पाये जाते हैं तथा आकार में अपेक्षाकृत काफी छोटे होते हैं। इनमें बार्म्युल्स (Barbules) अल्प विकसित होते हैं।(iv) छादन पिच्छ (Coverts) - ये पिच्छों के छोटे रूप हैं तथा पिच्छों एवं पुच्छ पिच्छों के आधार पर मिलते हैं।फीदर का वर्धन (Development of Feather) - पाँच या छः दिन के भ्रूण में डर्मल कोशिकाएँ एपिडर्मिस के नौचे एकत्रित होकर डर्मल पॅपिला का निर्माण करती हैं। ये पैपिला धीरे-धीरे वृद्धि करके कोन जैसे प्रवर्ध का रूप ले लेते हैं। बाद में पैपिला के आधार पर एक ऐन्युलर ग्रूव बन जाता है। फलस्वरूप पैपिला फोदर फॉलिकल में फँस जाता है। फॉलिकल से पैपिला अब एक लम्बे उभार के रूप में निकला रहता है, जिसे फोदर जर्म कहते हैं। फीदर जर्म का दूरस्थ भाग रेमाई या बावस् का निर्माण करते हैं, जबकि फोदर जर्म का निचला भाग क्विल का निर्माण करता है। भीतरी केन्द्रीय डर्मल मास, पल्प का निर्माण करता है जो संपूर्ण फीदर के लिए एक पोषक अंग की तरह कार्य करता है। जैसे ही फोदर में वृद्धि होती है बाहरी एपिडर्मिस फट जाती है तथा बार्बस् स्वतन्त्र हो जाते हैं। इस प्रकार से बार्बस् में वार्म्युल्स का निर्माण होने के साथ ही डाउन फीदर का वर्धन पूर्ण हो जाता है।