Full Width CSS

स्तनी प्राणीयो में मस्तिष्क का वर्णन (Description of brain in mammals in Hindi)

प्रारूपी मस्तिष्क की संरचना सभी कशेरुकी जन्तुओं में मस्तिष्क तीन मुख्य भागों का बना होता है, जिन्हें अग्र मस्तिष्क (Prosencephalon), मध्य मस्तिष्क (Mesencephalon ) एवं पश्च मस्तिष्क (Rhobencephalon) कहते हैं।अग्र मस्तिष्क पुनः दो भागों प्रमस्तिष्क (Telencephalon) एवं डायनसेफैलॉन (Diencephalon) में विभक्त हो जाता है। अग्र मस्तिष्क में प्राण पिण्ड (Olfactory lobes). घ्राण वृन्त (Olfactory peduncles); सेरीब्रम (Cerebrum), पीनियल बॉडी (Pineal body), ऑप्टिक किएज्मा (Optic chiasma), इनफन्डिबुलम (Infundibulum) एवं हाइपोफाइसिस (Hypophysis) पाये जाते हैं।मध्य मस्तिष्क में दृष्टि पिण्ड (Optic lobes) होते हैं। पश्च मस्तिष्क भी दो भागों, आगे मिटेनसेफलॉन (Metencephalon) तथा पीछे माइएलेनसेफैलॉन (Myelencephalon) में बँटा होता है। इस भाग में सेरीबेलम (Cerebellum) एवं मेड्यूला ऑब्लांगेटा (Medulla oblongata) आते हैं। यह मेड्यूला ऑब्लांगेटा पीछे की ओर विस्तारित होकर स्पाइनल कार्ड (Spinal cord) में परिवर्तित हो जाता है।मस्तिष्क के अन्दर पाये जाने वाले खोखले स्थान को निलय कहते हैं, जो कि संख्या में चार होते हैं। प्रथम एवं द्वितीय दो लेटरल वेण्ट्रिकल्स (Lateral ventricles) सेरीब्रम में होते हैं। तृतीय निलय (Third ventricle), डायनसेफलॉन (Diencephalon) में पाया जाता है। यह तृतीय निलय प्रथम एवं द्वितीय के साथ दो छिद्रों द्वारा खुलता है जिन्हें फोरामेन ऑफ मोनरो (Foramen of monro) कहते हैं। पश्च मस्तिष्क में चतुर्थ निलय विद्यमान होते हैं, तृतीय चतुर्थ को संकेत करता है और चतुर्थ एक पतली सँकरी नली द्वारा मध्य मस्तिष्क में खुलता है, इसे आईंटर (Iter) कहते हैं।मेरुदण्ड या स्पाइनल कार्ड (Spinal Cord) - यह एटलस कशेरुका से लेकर लम्बर (Lumber) तक फैला होता है। यह मेड्यूला ऑब्लांगेटा का पिछला भाग है, जो कि पतला होकर महाछिद्र (Foramen magnum) से निकलकर वर्टीब्रल कॉलम (Vertebral column) की न्यूरल कैनाल से होता हुआ अन्त तक जाता है। रीढ़ रज्जु की केन्द्रीय नली (Central canal) मेड्यूला के चौथे वेश्म या मेटासील से मिलती रहती है। स्पाइनल कॉर्ड पर तीन झिल्लयाँ- ड्यूरोमेटर, अरैक्नॉइड, पायामेटर होती हैं। इन झिल्लियों के बीच लसीका द्रव्य भरा रहता है । - ड्यूरोमेटर कशेरुकाओं से चिपकी नहीं होती, वरन् दोनों के बीच द्रव्य से भरी एक एपिड्यूरल गुहा (Epidural space) होती है। रीढ़ रज्जु का पिछला सिरा बहुत पतला अर्थात् धागे के समान होता है। यह सिरा ठोस भी होता है इसे फाइलम टर्मिनल कहते हैं। अगली व पिछली टाँगों की सीध में यह कुछ फूल जाती है। अगलों टाँगों के सामने वाले फूले हुए भाग को बैंकियल गण्ड (Branchial swelling) और पिछली टोगों के सामने वाले फूले हुए भाग को नितम्ब गण्ड (Saiatic swelling) कहते हैं।रीढ़ रज्जु की अनुप्रस्थ काट देखने पर पता चलता है कि यह बेलनाकार होती है। इसके बीचों-बीच केन्द्रीय नली (Central canal) मिलती है और नीचे की ओर एक बड़ी दरार मिलती है जिसे वेन्ट्ल फिशर (Ventral fissure) कहते हैं। इस प्रसीता में एक पतली रेखा या झिल्ली केन्द्रीय नली के पास तक जाती है जिसे डॉर्सल सेप्टम (Dorsal Septum) कहते हैं।केन्द्रीय नली के चारों ओर ग्रैमेटर व इससे बाहर की ओर श्वेत या हाइट मैटर (White matter) पाया जाता है। ग्रै-मेटर (Grey matter) केन्द्रीय नली के चारों ओर नहीं होता है तथा वह झिल्ली के आकार का होता है। डॉर्सल सतह पर ग्रै-मेटर पतला होता है और इन भागों को डॉर्सल हॉर्न (Dorsal horns) कहते हैं। वेन्ट्रल हॉर्न (Ventral horns) पृष्ठ श्रृंगों की अपेक्षा मोटे होते हैं। रोड़ रज्जु के वक्ष व लम्ब भागों में पार्श्व श्रृंग या लेटरल हॉर्न (Lateral horns) भी पाये जाते हैं।स्पाइनल कॉर्ड के कार्य (Function of spinal cord)स्पाइनल कॉर्ड के दो प्रमुख कार्य होते हैं। एक तो यह मस्तिष्क से आने-जाने वाली प्रेरणाओं के लिए मार्ग प्रदान करती हैं, दूसरे यह उन प्रेरणाओं की प्रतिक्रियाओं का संचालन व नियम करती है, जिनका मस्तिष्क से कोई संबंध नहीं होता। इन प्रतिक्रियाओं को स्पाइनल प्रतिक्षेप या रिफ्लेक्स क्रियाएँ (Reflex actions) कहते हैं।स्पाइनल कॉर्ड से चार प्रकार की तंत्रिकाएँ(1) सोमेटिक सेन्सरी (Somatic sensory)(2) सोमेटिक मोटर (Somatic motor),(3) विसरल सेन्सरी (Visceral sensory)(4) विसरल मोटर (Visceral motor) निकलती हैं।इन्हीं से प्रतिक्षेप क्रियाएँ (Reflex actions) होती हैं।मस्तिष्क की गुहाएँ (Cavities of the brain)मस्तिष्क की काट में मस्तिष्क की गुहिकाएँ दिखाई देती हैं। अग्र भाग से पश्च भाग की ओर प्रत्येक आलफैक्टरी लोब की गुहा को राइनोसोल (Rhinocoel) कहते हैं। यह गुहिका पीछे की ओर प्रमस्तिष्क गोलार्द्ध में सतत् रहकर द्वितीय गुहिका पैरासील (Paracoel) को बनाती है, पोछे की ओर तीसरा डायसील (Diacoel) पाया जाता है। ऑप्टिक लोब की गुहिका को आप्टोसील (Optocoel) कहते हैं। चौथी गुहिका मेडूला ऑब्लॉगेटा में होती है इसको मेटासील (Metacoel) कहते हैं। मेटासील आगे की ओर आइटर (Iter) से संबंधित रहती है। आइटर अपने पृष्ठ भाग में अनुमस्तिष्क (Cerebellum) की गुहिका एपीसील (Epicoel) से एवं अपने पार्श्व भाग में दृष्टि पतियों की गुहिका ऑप्टोसोल (Optocoel) से सम्बन्धित होती है तथा अपने अग्रभाग में आइटर डायोसील (Diocoel) या III वेन्ट्रीकल्स से संबन्धित रहती है।लैंगर हैन्स की द्वीपिकाएँ (islet of Langerhans)लैंगर हैन्स की द्विपिकाएँ आमाशय (Stom- ach) के पीछे डियोडीनम की दोनों भुजाओं के बीच लगभग 20 सेमी. लम्बी हल्के गुलाबी रंग की पायी जाती हैं। इस ग्रंथि की उत्पत्ति भ्रूण की आँत से होती है। पैन्क्रियास में संयोजी ऊतकों के मध्य पाचक एन्जाइम्स का स्त्रावण करने वाली लोब संरचना है। यह एक्सोक्राइन (Exocrine) एवं अन्त: स्त्रवी ग्रंथि के समान कार्य करती है। इसकी लोब वाली संरचना इसका एक्सोक्राइन भाग बनाती है। इन लोब्स के बीच-बीच में संयोजी ऊतकों में द्विलम्बित कुछ विशेष प्रकार की ठोस कोशिकाओं के समूह होते हैं। यह समूह अन्त: स्रावी ग्रन्थियों लँगरहैन्स को द्वीपिकाएँ होती हैं। इस द्वीपसमूह को पैन्क्रियाटिक द्वीप समूह (Pancreatic islets) कहते हैं। मनुष्य में इन द्वीपिकाओं की संख्या लगभग 10 लाख होती है। इसे वैज्ञानिक लैंगरहैन्स (Langerhans) ने खोजा था, इन्हीं के नाम पर इसका नामकरण किया गया है।