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पैराथायरॉइड ग्रन्थि तथा वृषण पर टिप्पणी - Comments on Parathyroid Gland and Testes in Hindi

पैराथायरॉइड ग्रन्थि की रचना) (Structure of Parathyroid Gland)

यह छोटी दो या चार जोड़ी लाल-सी अण्डाकार ग्रन्थि है जो थायरॉइड ग्रन्थि की प्रत्येक पालि में पृष्ठीय सतह पर धँसी रहती है। भ्रूणीय अवस्था में यह ग्रन्थियाँ III एवं IV ग्रसनी क्लोम दरारों की एपोथिलियम से निर्मित होती है प्रत्येक ग्रन्थि 6 से 7 मिमी लम्बी एवं 3 से 4 मिमी चौड़ी एवं। -2 मिमी. मोटी तथा 0-03 से 0-05 ग्राम भार की होती है, इनका कुल भार 140mg होता है। यह ठोस पिण्डों के रूप में होती है। चार पैराथाइरॉइड में से दो ग्रन्थियों, थायरॉइड ग्रन्थि में धँसी रहती हैं, इन ग्रन्थियों को आंतरिक पैराथायरॉइड ग्रन्थि कहते हैं शेष दो ग्रन्थियाँ थायरॉइड ग्रन्थि के पास पीछे की ओर स्थित होती है, इनको बाह्य पैराथायरॉइड कहते हैं। प्रत्येक पैराथायरॉइड ग्रन्थि अत्यधिक वाहिकामय (Highly vascularised) होती है। इसके द्वारा स्रावित हॉर्मोन्स को पैराथॉरमोन (Parathormone) कहते हैं। यह हॉर्मोन्स जटील प्रोटीन होता है जो कि 84 अमीनो अम्ल का बना होता है।कार्य (Function) – पैराथायरॉइड ग्रन्थि के निम्न प्रमुख कार्य होते हैं -1. रक्त एवं ऊतकों के Cat++ एवं फास्फेट आयनों के अनुपात को बनाए रखना।2. यह कैल्सीयम के अवशोषण में वृद्धि करता है।3. यह ग्रन्थि अस्थियों को मजबूती प्रदान करता है।4. अन्त: कोशिकीय फास्फेट विन्यास में सहायता करता है।5. DNA- संश्लेषण में मदद करता है।6. पैराथार्मोन के द्वारा दुग्ध स्रावित स्तन ग्रन्थियों के द्वारा Ca++ के स्रावण की दर को कम कर देता है।7. यह ग्रन्थि आहारनाल में Cath आयन के शोषण दर में वृद्धि करता है।8. इस ग्रन्थि के हॉर्मोन के कारण विटामिन D अपना कार्य ठीक प्रकार से करता है।

वृषण (Testes)

वृषण नर प्रजनन तंत्र का मुख्य अंग होता है। प्रत्येक वृषण में जननिक एपीथिलियम से बने सेमोनोफेरस नलिकाओं को एक संहति होती है। सेमीनीफेरस नलिकाओं, यूरीनीफेरस नलिकाओं के साथ महीन नलिकाओं के द्वारा जुड़ी रहती है, इनकी वास इफरेन्सीया कहते हैं, इन वृषण में बनने वाले शुक्राणु सेमीनी फेरस नलिकाओं द्वारा मौजोनेफ्रिक नलिकाओं में पहुँच जाते हैं। जहाँ से ये शुक्राणु शरीर से बाहर निकलकर नये वंश को जन्म देते हैं।स्तनी जन्तु में दो अण्डाकार वृषण उदर गुहिका के बाहर वृषण कोषों (Scrotal sacs) में स्थित होते हैं। वृषण कोषों को भित्ति से स्नायु गुबनैकुलम द्वारा लगी रहती है। वृषण कोषों की गुहिका वृषण कोष पट्ट द्वारा दो अर्घाशों में विभाजित होती है। वृषण कोषों की गुहिका उदर गुहिका से एक पतली इंग्वीनल नलिका से जुड़ी रहती हैं। प्रत्येक वृषण एक ऊतक के सम्पुट (Capsule) द्वारा बन्द रहता है, जिसे यूनिका ऐल्बूजीनिया कहते हैं। प्रत्येक वृषण की आन्तरिक दिशा का आधा भाग घेरता हुआ एक एपीडिडाइमिस होता है जो कि मोसोनेफ्रॉस का अवशेषो भाग होता है।