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अग्नाशय पर टिप्पणी - Comment on Pancreas in Hindi

अग्नाशय (Pancreas)

स्थिति (Position) - उदर गुहा में आमाशय के पीछे लगभग 20 सेमी. लम्बी हल्के गुलाबी रंग की एक चपटी ग्रन्थि पायी जाती है, जो मिश्रित ग्रन्थि अग्नाशय है। इसकी उत्पत्ति भ्रूण की आँत से होती है। अग्न्याशय की गुहा में प्रकीण्वों को स्रावित करने वाली कोशिकाओं के बने पिण्ड पाये जाते हैं, जो पूरे अग्न्याशय का 90% भाग बनाते हैं। ये पिण्ड विविध प्रकीण्वों का स्रावण करते हैं। इसी गुहा के संयोजी ऊतकों में अनेक छोटे-छोटे कोशिकाओं के गुच्छे पाये जाते हैं। ये सूक्ष्म गुच्छे अन्तःस्रावी ग्रन्थियाँ लैंगर हैन्स की द्वीपिकाएँ (Islets of Langerhans) हैं। मनुष्य में इनकी संख्या लगभग 10 लाख होती है। इनकी खोज लैंगरहैन्स ने सन् 1869 में की इसी कारण इन्हें यह नाम दिया गया।संरचना (Structure) - अन्तःस्रावी ग्रन्थियाँ या लँगरहैन्स की द्वीपिकाएँ छोटे-छोटे अन्तःस्रावी कोशिकाओं के अण्डाकार समूह हैं। प्रत्येक समूह सैकड़ों कोशिकाओं, रक्त केशिकाओं और रक्त पात्रों (Sinusoids) की बनी होती हैं।इसकी कोशिकाएँ निम्नलिखित हॉर्मोन्स का स्रावण करती हैं-1. इन्सुलिन (Insulin) - इन्सुलिन एक सरल प्रोटीन है, जो 51 अमीनो अम्लों को दो श्रृंखलाओं का बना होता है।यह निम्नलिखित कार्यों को करता है -(a) यह ग्लूकोज उपापचय का नियन्त्रण करता है। यह ग्लूकोज को ग्लाइकोजन में बदलकर यकृत की कोशिकाओं तथा पेशियों में संचय ग्लूकोज के ऑक्सीकरण तथा रुधिर में ग्लूकोज की मात्रा को नियन्त्रित करता है।(b) यह ऊतकों में वसा एवं R.N.A. के संश्लेषण को प्रेरित करता है।(c) कोशिकाओं की आधारीय उपापचयी दर (Basal metabolic rate B.M.R.) को प्रभावित करता है।

अनियमितताओं से उत्पन्न रोग

अल्पस्त्रावण (Hyposecretion) - इसके अल्पस्त्रावण से रुधिर के ग्लूकोज की यकृत में ग्लायकोजन में बदलकर संचित करने की क्रिया कम हो जाती है, फलतः रुधिर में शर्करा की मात्रा बढ़ जाती है और वृक्कं इस शर्करा को रुधिर से छानकर मूत्र के साथ बाहर कर देता है। इस रोग को मधुमेह (Diabetes mellitus) कहते हैं। इसमें रोगो का वजन घटने लगता है वह कमजोर हो जाता है और अन्तिम अवस्था में उसकी मृत्यु भी हो सकती है। कनाडावासी वैज्ञानिक बैन्टिंग एवं बेस्ट (Banting and Best) ने सन् 1922 में कई जन्तुओं को मारकर उनके अग्नाशय से इन्सुलिन प्राप्त करने की विधि बतायी, जिसके इन्जेक्शन को मधुमेह के रोगी को देकर उसका उपचार किया जाता है।मधुमेह के कारण मनुष्य में निम्नलिखित समस्याएँ और पैदा होती हैं -(i) पॉलीयूरिया (Polyurea) - मूत्र में जल की मात्रा बढ़ जाती है और बहुमूत्रलता की स्थिति पैदा हो जाती है।(ii) पॉलीडिप्सिया (Polydipsia) - अधिक मूत्र निकलने से प्यास बहुत लगती है।(iii) कीटोसिस (Ketosis) - वसा का अधूरा विखण्डन होने लगता है, जिससे कीटोनकाय बनती है, जो मूत्र के साथ बाहर आती है।(iv) ऐसिडोसिस (Acidosis) - कीटोनकाय अम्लीय, हल्के तथा विषैले होते हैं, जिसके कारण शरीर की अम्लीयता बढ़ती है तथा रोगी बेहोशी में आकर मर जाता है।अतिस्वण (Hypersecretion) - इन्सुलिन के अतिसारण से हाइपोग्लाइसेमिया (Hypoglycemia) रोग होता है, जिसमें मस्तिष्क की उत्तेजना बढ़ जाती है, थकावट आती है, मूर्च्छा आती है, शरीर में ऐंठन होती है और अन्त में व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है।2. ग्लूकैगॉन (Glucagon) - यह इन्सुलिन के विपरीत कार्य करता है और ग्लाइकोजन को ग्लूकोज में परिवर्तित होने को उत्तेजित करता है, जिससे रुधिर में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ या सामान्य हो जाती है। इसका स्वावण उस समय अधिक होता है, जब रुधिर में ग्लूकोज की मात्रा सामान्य से कम होने लगती है।3. सोमैटोस्टेटिन (Somatostatin) - इसका पता अभी हाल में ही लगा है। यह एक पॉलिपेप्टाइड है, जो पचे हुए भोजन के स्वांगीकरण की अवधि को बढ़ाता है, जिससे भोजन की उपयोगिता अधिक समय तक बनी रहती है।अग्न्याशय के आइलेट्स ऑफ लैंगरहैन्स का नियन्त्रण पुनर्निवेशन प्रक्रिया द्वारा होता है।