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कशेरुक के ब्रेस्ट बोन या स्टर्नम (Breast bone or sternum of Vertebrate in Hindi)

स्टर्नम जिसे ब्रेस्ट बोन (Breast bone) भी कहा जाता है, छाती के मध्य में मिलने वाली लंबो अस्थि है। यह क्लैविकल एवं पसलियों को आधार प्रदान करती है। यह कुछ सरीसृपों (साँप, कछुआ आदि) को छोड़कर सभी चतुष्पादियों (Tetrapods) में पायी जाती है। मछलियों में स्टर्नम अनुपस्थित होता है।उभयचरों में - उभयचरों के केवल एक ऑर्डर- एन्यूरा के जीवों में स्टर्नम पाया जाता है। मेढक में अंस मेखला (Pectoral girdle) के मध्य अधर तल पर स्टर्नम जुड़ा होता है। यह दो भागों से बनता है, एक भाग मध्य रेखा से आगे की ओर व दूसरा भाग पीछे की ओर होता है। दोनों भाग एक चपटी, अस्थिल छड़ाकार रचना से जुड़ते हैं जिसका सिरा कार्टिलेज की चपटी प्लेट का बना होता है।मेढक के स्टर्नम में तीन भाग होते है -1. एपिस्टर्नम (Episternum) – यह आगे की ओर स्थित एक उपास्थिय चपटी चक्रिका की भाँति होती है।2. ओमोस्टर्नम (Omosternum) – यह पीछे की ओर द्विशाखित होकर क्लॅविकल अस्थियों से जुड़ती है।3. मीसोस्टर्नम (Mesosternum) – यह छड़ के समान होती है, जो एपिकोराकॉइड उपास्थि के पीछे पायी जाती है।सरीसृप में - अधिकांश सरीसृपों में स्टर्नम नहीं पाया जाता। क्रोकोडाइल (Crocodiles) एवं छिपकलियों (lizards) में यह उपस्थित होता है। क्रोकोडिलिया ऑर्डर के जीवों में यह छोटे अंडाकार कार्टिलेज की प्लेट के रूप में पाया जाता है जो कार्टिलेजिनस जिफीस्टर्नल छड़ के रूप में आगे बढ़ता है। इससे 6-8 पृष्ठ पसलियाँ (Dorsal ribs) जुड़ती हैं। वैरेनस में भी यह कॉर्टिलेज की बनी रॉम्बॉइडल प्लेट के रूप में पाया जाता है। इसकेअग्र पार्श्व भाग के किनारे अंसमेखला के कोराकॉइड एवं एपौकोराकॉइड से जुड़े रहते हैं। इसके पश्च पार्श्व किनारे पर पसलियाँ आकर जुड़ती हैं। स्टर्नल प्लेट का पश्च किनारा पसलियों के आधार को धारण करता है। इसमें "T" आकार की इण्टर क्लैविकल पायी जाती है जो कार्टिलेज की बनी होती है। यह स्टर्नम के मध्य अधर सतह पर जुड़ी होती है तथा पश्च सिरे तक फैली होती है।पक्षियों में - पक्षियों में स्टर्नम एक प्लेट के समान रचना होती है जिसे 'ब्रेस्ट बोन' कहा जाता है। यह एक नावनुमा अस्थि है जो वक्ष व उदर दोनों में पायी जाती है एवं उड्डयन मांसपेशियों को जुड़ने के लिए स्थान उपलब्ध कराती है।स्टर्नम में निम्नलिखित भाग होते हैं -1. मेटास्टर्नम / कील (Metasternumn/keel)2. मेटास्टर्नल प्रवर्ध (Metasternal/process)3. जिफॉइड प्रवर्ध (Xiphoid process))4. कोस्टल सतह (Coastal surface)5. कोराकॉइड ग्रूव्स (Coracoid grooves)मेटास्टर्नम या कील एक मध्य पश्च प्लेट के रूप में होती है जिसकी पृष्ठ सतह अवतल एवं अधर सतह उत्तल होती है। यह स्टर्नम का मुख्य भाग बनाती है। इसमें आगे की ओर मैन्यूब्रियम होता है। कील के अग्र भाग से दोनों ओर एक बड़ी पश्च तथा एक छोटी अग्र मेटास्टर्नल प्रवर्ध निकलते हैं जिन्हें क्रमश: कोस्टल प्रवर्ध, मेटास्टर्नल प्रवर्ध एवं जिफॉइड प्रवर्ध कहते हैं। पश्च जिफॉइड शीघ्र ही दो चपटी शाखाओं में बँट जाती है। छोटी व ऊपरी शाखा को ऑब्लिक प्रोसेस (Oblique process) तथा निचली शाखा को निचली जिफॉइड प्रोसेस (Lower xiphoid process) कहते हैं जो स्वतंत्र रूप से निकली रहती है। कोस्टल सरफेस में कोल के अग्र भाग पर पृष्ठ पार्श्व किनारों पर चार या पाँच गड्ढे पाये जाते हैं जिनसे स्टर्नल पसलियों के निचले सिरे जुड़ते हैं। कोराकॉइड ग्रूव जो मैन्यूब्रियम के नीचे एक लंबवत् गड्ढे के रूप में पाया जाता है। कोराकॉइड अस्थि के निचले सिरे को जोड़ने के लिए होता है।स्तनियों में - स्तनियों में भ्रूणीय अवस्था में पसलियों के अधर सिरों के संलयन से निर्मित होता है अतः - इसका अलग आकारिकीय महत्व है। स्तनियों में स्टर्नम खण्डों में बँटा होता है जिन्हें स्टनिंब्री (Sternebrae) कहा जाता है। पहला खण्ड मैन्युब्रियम कहलाता है जो अन्य खण्डों की तुलना में बड़ा होता है। इसमें एक अधर कील पाया जाता है। आखिरी खण्ड या अस्थि जीफीस्टर्नम (Xiphisternum) कहलाता है जिसमें एक गोलाकार उपास्थि जुड़ी होती है जिसे जिफॉइड (Xiphoid) कहते हैं। सभी स्टर्निब्री आपस में जुड़े होते हैं।